पन्नों पर भी पहरे हैं
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बैठ चुका हूँ लिखने को कुछ, शब्द दूर ही ठहरे हैं,
ज़हन पड़ा है सूना-सूना, पन्नों पर भी पहरे हैं।
प्रेम किया वर्णों से
भावों कलम डुबोया
सींची संस्कृति अपनी
पूरा परिचय बोया,
झंकृत अब मानस है
चमक रही है स्याही
पद्य सृजन में ठहरा
भटका सा इक राही;
उभरें नहीं विचार पृष्ठ पर, सोये वे भी गहरे हैं,
ज़हन पड़ा है सूना-सूना, पन्नों पर भी पहरे हैं।
लेखन नियम न समझा
संधानित नरकट ने
बदल दिया जज़्बाती
पारस को करकट में,
रच-रच उलाहनायें
सृजनें हैं अब देतीं
भस्म हुई ख़्वाबों की
सरसब्ज़ पड़ी खेती;
सूखीं असु चितवन की सारी, बड़ी-बड़ी अब नहरें हैं,
ज़हन पड़ा है सूना-सूना, पन्नों पर भी पहरे हैं।
उकताहटवश होकर
कर से कलम निचोड़ी
चित्त नीड़ में पैठी
खोली अहं तिजोरी,
आँखों में अंजन भर
झाँक हृदय में पाया
कुटिल कुटिलताओं में
जन्म-जन्म विसराया;
अंतर्मन में बहुत प्रफुल्लित, अंधकार की लहरें हैं,
ज़हन पड़ा है सूना-सूना, पन्नों पर भी पहरे हैं।
मसि महिमा ना जानूँ
लफ़्ज बोलकर जैसे
कीर्तन गा हर्फ़ों के
पार पड़ूँ अब कैसे?
देतीं हिय को देवी
ज्ञान शारदे माता
मुझ बेचारे से क्यों
रूठा हुआ विधाता?
पुस्तक के वरकों में शायद, रूखी सी अब बहरें हैं,
ज़हन पड़ा है सूना-सूना, पन्नों पर भी पहरे हैं।
...“निश्छल”
शानदार रचना 🙏
ReplyDeleteसादर धन्यवाद मैम🙏😊🙏
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार १९ अक्टूबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत बहुत शुक्रिया एवं आभार आदरणीया श्वेता जी🙏🙏🙏
Deleteबहुत ही सुन्दर सृजन 👌
ReplyDeleteसाभार नमन मैम🙏🙏🙏
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteसहृदय धन्यवाद आदरणीय, हार्दिक अभिनंदन है आपका "मकरंद" पर🙏😊🙏
Deleteप्रेम किया वर्णों से
ReplyDeleteभावों कलम डुबोया
सींची संस्कृति अपनी
पूरा परिचय बोया,
झंकृत अब मानस है
चमक रही है स्याही
पद्य सृजन में ठहरा
भटका सा एक राही;
उभरें नहीं विचार पृष्ठ पर, सोये वे भी गहरे हैं,
ज़हन पड़ा है सूना-सूना, पन्नों पर भी पहरे हैं।
बेहतरीन.... शानदार.... लाजवाब...
वाह!!!
अद्भुत एवं अविस्मरणीय कृति...
हृदयतल से धन्यवाद आदरणीया🙏😊🙏
Deleteवाह बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteभाई अमित जी आप पर सदा मां शारदा की कृपा यूंही बनी रहे आप एक बेजोड़ रचनाकार हो, और अकिंचन के भाव आपको और उंचाईयां पर स्थापित करता है।
साधुवाद।
अतिशय आभार दीदी, कलम चलाना सीख रहा हूँ। आपलोगों के आशीर्वचनों से मन पुलकित हो जाता है। स्नेहाशीषों की शुभाकांक्षा रहेगी। नमन🙏🙏🙏
Deleteबेहद खूबसूरत सृजन अमित जी . आपकी भाव प्रेषण क्षमता अद्भुत है . सदैव लिखते रहिए यही मंगलकामनाएँ हैं .
ReplyDeleteसादर आभार एवं नमन मैम🙏🙏🙏
Deleteबहुत बहुत शुक्रिया आपका। फिलहाल ऐसा कोई इरादा नहीं है। आदर सहित 🙏🙏🙏
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