कथन

श्रुतियों के अभिव्यंजन की अब, प्रथा नहीं है ऐ हमदम...।
...“निश्छल”

17 October 2018

पन्नों पर भी पहरे हैं

पन्नों पर भी पहरे हैं
✒️
बैठ चुका हूँ लिखने को कुछ, शब्द दूर ही ठहरे हैं,
ज़हन पड़ा है सूना-सूना, पन्नों पर भी पहरे हैं।

प्रेम किया वर्णों से
भावों कलम डुबोया
सींची संस्कृति अपनी
पूरा परिचय बोया,
झंकृत अब मानस है
चमक रही है स्याही
पद्य सृजन में ठहरा
भटका सा इक राही;

उभरें नहीं विचार पृष्ठ पर, सोये वे भी गहरे हैं,
ज़हन पड़ा है सूना-सूना, पन्नों पर भी पहरे हैं।

लेखन नियम न समझा
संधानित नरकट ने
बदल दिया जज़्बाती
पारस को करकट में,
रच-रच उलाहनायें
सृजनें हैं अब देतीं
भस्म हुई ख़्वाबों की
सरसब्ज़ पड़ी खेती;

सूखीं असु चितवन की सारी, बड़ी-बड़ी अब नहरें हैं,
ज़हन पड़ा है सूना-सूना, पन्नों पर भी पहरे हैं।

उकताहटवश होकर
कर से कलम निचोड़ी
चित्त नीड़ में पैठी
खोली अहं तिजोरी,
आँखों में अंजन भर
झाँक हृदय में पाया
कुटिल कुटिलताओं में
जन्म-जन्म विसराया;

अंतर्मन में बहुत प्रफुल्लित, अंधकार की लहरें हैं,
ज़हन पड़ा है सूना-सूना, पन्नों पर भी पहरे हैं।

मसि महिमा ना जानूँ
लफ़्ज बोलकर जैसे
कीर्तन गा हर्फ़ों के
पार पड़ूँ अब कैसे?
देतीं हिय को देवी
ज्ञान शारदे माता
मुझ बेचारे से क्यों
रूठा हुआ विधाता?

पुस्तक के वरकों में शायद, रूखी सी अब बहरें हैं,
ज़हन पड़ा है सूना-सूना, पन्नों पर भी पहरे हैं।
...“निश्छल”

15 comments:

  1. शानदार रचना 🙏

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    1. सादर धन्यवाद मैम🙏😊🙏

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १९ अक्टूबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया एवं आभार आदरणीया श्वेता जी🙏🙏🙏

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  3. बहुत ही सुन्दर सृजन 👌

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  4. बहुत सुन्दर

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    1. सहृदय धन्यवाद आदरणीय, हार्दिक अभिनंदन है आपका "मकरंद" पर🙏😊🙏

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  5. प्रेम किया वर्णों से
    भावों कलम डुबोया
    सींची संस्कृति अपनी
    पूरा परिचय बोया,
    झंकृत अब मानस है
    चमक रही है स्याही
    पद्य सृजन में ठहरा
    भटका सा एक राही;
    उभरें नहीं विचार पृष्ठ पर, सोये वे भी गहरे हैं,
    ज़हन पड़ा है सूना-सूना, पन्नों पर भी पहरे हैं।
    बेहतरीन.... शानदार.... लाजवाब...
    वाह!!!
    अद्भुत एवं अविस्मरणीय कृति...

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    1. हृदयतल से धन्यवाद आदरणीया🙏😊🙏

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  6. वाह बहुत सुन्दर!
    भाई अमित जी आप पर सदा मां शारदा की कृपा यूंही बनी रहे आप एक बेजोड़ रचनाकार हो, और अकिंचन के भाव आपको और उंचाईयां पर स्थापित करता है।
    साधुवाद।

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    1. अतिशय आभार दीदी, कलम चलाना सीख रहा हूँ। आपलोगों के आशीर्वचनों से मन पुलकित हो जाता है। स्नेहाशीषों की शुभाकांक्षा रहेगी। नमन🙏🙏🙏

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  7. बेहद खूबसूरत सृजन अमित जी . आपकी भाव प्रेषण क्षमता अद्भुत है . सदैव लिखते रहिए यही मंगलकामनाएँ हैं .

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    1. सादर आभार एवं नमन मैम🙏🙏🙏

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  8. बहुत बहुत शुक्रिया आपका। फिलहाल ऐसा कोई इरादा नहीं है। आदर सहित 🙏🙏🙏

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