गले का पट्टा (हास्य गीत)
✒️बड़े दिनों से दिखा नहीं था, मालिक ही ना पट्टा
सपने चकनाचूर हुवे थे, सभी मारते फट्टा।
बेचारे की किस्मत फूटी, नाम सुना जब डॉली
भूल गया था पला हुआ वह, सूरत उसकी भोली।
फक्कड़ कुत्ते ख़ूब डाँटते, बँटा गली का सट्टा
उसकी बड़ी मखौल उड़ाते, दिखता जब भी पट्टा।
मुँह में खाँड़ दबाये भागे, नहीं ख़बर थी उसको
बिल्ली देख उसे खिखियाती, डरना होता जिसको।
उसकी बड़ी मखौल उड़ाते, दिखता जब भी पट्टा।
मुँह में खाँड़ दबाये भागे, नहीं ख़बर थी उसको
बिल्ली देख उसे खिखियाती, डरना होता जिसको।
कहकर मामा उसे चिढ़ाते, चूहे फेंकें मिट्टी
बंदर जो चल बैठा पीछे, गुम थी सिट्टी-पिट्टी।
टूटा शीशा मिला सड़क पर, बदले किस्मत तारे
अपनी सूरत को ही देखे, आँखों में फ़व्वारे।
बंदर जो चल बैठा पीछे, गुम थी सिट्टी-पिट्टी।
टूटा शीशा मिला सड़क पर, बदले किस्मत तारे
अपनी सूरत को ही देखे, आँखों में फ़व्वारे।
जब दिख गया गले का पट्टा, कुत्ता हुआ बड़ा भौचक्का
भाग चला दुम ज़रा दबाये, खाते मालिक के घर धक्का।
जान गया, ना वह आवारा, फिरा दिनों तक मारा-मारा
कैसे किस्मत चमक गई अब, पट्टा दिखा बहुत ही प्यारा।
भाग चला दुम ज़रा दबाये, खाते मालिक के घर धक्का।
जान गया, ना वह आवारा, फिरा दिनों तक मारा-मारा
कैसे किस्मत चमक गई अब, पट्टा दिखा बहुत ही प्यारा।
...“निश्छल”
गुलामी की ज़िंदगी में भी कुछ फ़ायदे तो हैं. लेकिन उसके लिए हरेक को कुत्ता ही बनना पड़ता है.
ReplyDeleteसधन्यवाद नमन आदरणीय।
Deleteबहुत बढ़िया अमित जी ,गुलामी भी कभी कभी अच्छी लगती हैं ,सादर
ReplyDeleteसत्य वचन मैम। सादर शुक्रिया।
Deleteबहुत अच्छे👌👌👌😂😂.पट्टे के नाम पर सुख ही सुख था, केवल आवारगी का सुख नहीं था.
ReplyDeleteनमन मैम। आपने कविता के आधार को एक पंक्ति में बख़ूबी बयाँ कर दिया। सधन्यवाद नमन।
Deleteउव्वाहहहह
ReplyDeleteसादर..
नमन मैम। शुभाशीष बना रहे।
Deleteजबरदस्त कटाक्ष ।
ReplyDeleteजी, हार्दिक आभार एवं नमन।
Deleteहार्दिक आभार मैम।
ReplyDeleteसादर अभिवादन एवं आभार आदरणीय शिवम जी।
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