ऐ चंदा, मैं सारी उमर वारता हूँ
✒️
चाँद!
अब भी शिकायत करूँ एक तुमसे,
न झुँझलाकर मुझसे नज़र फेर लेना;
मुकद्दर कहो कौन पाये हो रब से?
मानूँ तो हीरा, न मानूँ, खिलौना।
अनुग्रह करो, या कर लो अवज्ञा,
उजले दीख पड़ते सदा ही गगन में;
क्या तारे खिले हैं तुम्हें देखकर यूँ?
या खिलते खड़े हो तुम्हीं उस चमन में?
नहीं दिल्लगी तुम इसे मान लेना,
मैं कह दूँ अगर, मत बुरा मान लेना;
ऐ चंदा, प्रखर धूप में मुँह छिपाये,
क्यों फिरते? न दिखते कहा मान लेना।
हूँ अचंभित नहीं, हरपल सालता हूँ,
दुआ में, तुम्हारी चमक माँगता हूँ;
जो कह दे मुझे दोस्त अपना पुराना,
ऐ चंदा, मैं सारी उमर वारता हूँ।
अब भी शिकायत करूँ एक तुमसे,
न झुँझलाकर मुझसे नज़र फेर लेना;
मुकद्दर कहो कौन पाये हो रब से?
मानूँ तो हीरा, न मानूँ, खिलौना।
अनुग्रह करो, या कर लो अवज्ञा,
उजले दीख पड़ते सदा ही गगन में;
क्या तारे खिले हैं तुम्हें देखकर यूँ?
या खिलते खड़े हो तुम्हीं उस चमन में?
नहीं दिल्लगी तुम इसे मान लेना,
मैं कह दूँ अगर, मत बुरा मान लेना;
ऐ चंदा, प्रखर धूप में मुँह छिपाये,
क्यों फिरते? न दिखते कहा मान लेना।
हूँ अचंभित नहीं, हरपल सालता हूँ,
दुआ में, तुम्हारी चमक माँगता हूँ;
जो कह दे मुझे दोस्त अपना पुराना,
ऐ चंदा, मैं सारी उमर वारता हूँ।
...“निश्छल”
बहुत खूब .....
ReplyDeleteआभार आदरणीया।
Deleteहूँ अचंभित नहीं, हरपल सालता हूँ,
ReplyDeleteतेरी दुआ की चमक माँगता हूँ;..वाह बहुत खूब
सादर अभिवादन एवं धन्यवाद मैम।
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार मई 21, 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteनमन आदरणीया। आभार।
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत - बहुत धन्यवाद मैम।
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