जय भरत भूमि
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अभिधान भरत उद्दीपन जय
जय वीर तारिणी विमल भूमि।
विस्तृत हिमाद्रि हे भूमिखंड
ऋषिकेश पावनी तपोभूमि।।
जन गण मन हे अभिलाषी जय
हे मातृभूमि हे स्वर्णभूमि।
मंदाराच्छादित हे विमले
हेमाभ प्रदीपित यशोभूमि।।
शूरत्व समर्पित रज उन्नत
वीरत्व अलंकृत पृष्ठभूमि।
तरुणाई यह अर्पित तुम पर
हे पूज्य-अनामय मातृभूमि।।
कैलास उदीची में अविचल
वामन-विशाख हे अधोभूमि।
कण-कण पुराण की कथा रचित
जय ईश विभूषित देवभूमि।।
जय-जय वसुधा जय-जय भारत
हे वासुदेव की रंगभूमि।
धन-धान्य समर्पित है तुम पर
हे श्री रघुवर की जन्मभूमि।।
...“निश्छल”
मातृभूमि की सदा जय है।
ReplyDeleteअत्यंत भावपूर्ण सुंदर अभिव्यक्ति अमित जी।
सादर।
सदैव जय हो
ReplyDeleteसुन्दर भावाभिव्यक्ति
सुंदर भाव
ReplyDeleteमातृ भूमि को नमन ।
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति