कथन

श्रुतियों के अभिव्यंजन की अब, प्रथा नहीं है ऐ हमदम...।
...“निश्छल”

06 June 2019

चलो, कह दे रहा हूँ मैं

चलो, कह दे रहा हूँ मैं
✒️
चलो, कह दे रहा हूँ मैं, महकता है चमन, फिर भी
महज़ इक फूल को फिर से, ज़रा पुचकार कर देखो।

चलीं हैं आज जल-थल में
गरल बनकर हवाएँ भी,
कभी भी बात ना करतीं
अकेले में दिशायें भी।

मछलियाँ अब नहीं दिखतीं, भला यह कौन कहता है?
सजल सी आँख की जालें, ज़रा सी डालकर देखो।।

उगे हैं बादलों को पर
कुतरने को पड़ा सूरज,
विकल हो, आसमानों से
शिकायत क्या करे नीरज?

अगर शिकवे करे दिनभर, कुदरती माननीयों से
सुबह खिलना उसे पड़ता, बला यह जानकर देखो।।

मुखौटों को बदलकर ही
निकलता चाँद रातों में,
रसिक भी गीत गाते हैं
सुरों को बाँध गातों में।

किसी को फ़र्क क्या पड़ता, अगर बरसात में पूछो
निकलकर गाँव के बाहर, छतरियाँ तानकर देखो।।

बहुत ही सब्ज़ हैं साँसें
शजर के पत्तियों की अब,
महल की सेविकाएँ भी
किसी से बात करतीं कब?

कुलीनों की गली में हैं, विषैले नाग से गुंडे
कि नाज़ुक मन रखा किसने, किहुनियाँ मारकर देखो।।
...“निश्छल”

14 comments:

  1. जी नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ७ जून २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सधन्यवाद नमन मैम। आभार।

      Delete
  2. अप्रतिम। बहुत-बहुत सुन्दर। लाजवाब। शब्दों की कमी पड़ गयी है मेरे पास।
    नयापन है आपकी इस रचना में। शुभकामना ऐसी और रचनाएँ लिखने के लिए।

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद सर। हार्दिक स्वागत है आपका "मकरंद" पर।

      Delete
  3. बेहतरीन रचना अमित जी

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया।

      Delete
  4. सराहना से परे! अद्भुत!!!

    ReplyDelete
  5. अप्रतिम रचना। आपकी लेखन प्रतिभा मंत्रमुग्ध कर देती है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर आभार मैम। स्नेह बना रहे।

      Delete
  6. दिल को छूती लाज़वाब रचना।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सर धन्यवाद। हृदयतल से अभिनंदन है आपका "मकरंद" पर।

      Delete
  7. बहुत ही सब्ज़ हैं साँसें
    शजर के पत्तियों की अब,
    महल की सेविकाएँ भी
    किसी से बात करतीं कब?
    बेहतरीन लेखन हेतु साधुवाद आदरणीय निश्छल जी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक अभिनंदन सर। सादर धन्यवाद।

      Delete