कथन

श्रुतियों के अभिव्यंजन की अब, प्रथा नहीं है ऐ हमदम...।
...“निश्छल”

30 March 2019

आँसुओं की माप क्या है?

आँसुओं की माप क्या है?
✒️
रोक लेता चीखकर
तुमको, मगर अहसास ऐसा,
ज़िंदगी की वादियों में
शोक का अधिवास कैसा?

नासमझ, अहसास मेरे
क्रंदनों के गीत गाते,
लालची इन चक्षुओं को
चाँद से मनमीत भाते।

ढूँढ़ता हूँ जाग कर
गहरी निशा की ख़ाक में,
वंदनों से झाँकता
अभिनंदनों के ताक में।

उत्तरोत्तर आज भी
चरितार्थ कितनी? बोलकर,
चित्त में गहरे छिपे
मनभाव को झकझोर कर।

ओ मेरे भटके बटोही
आज बस इतना बता दे,
काव्य में लथपथ पड़े
इन आँसुओं की माप क्या है?
...“निश्छल”

24 comments:

  1. बहुत सुन्दर आदरणीय
    सादर

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    1. सादर धन्यवाद मैम🙏🙏🙏

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 30/03/2019 की बुलेटिन, " सांसद का चुनाव और जेड प्लस सुरक्षा - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    1. धन्यवाद "बलॉग बुलेटिन", सादर अभिवादन आदरणीय शिवम जी🙏🙏🙏

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  3. बहुत बढ़िया

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    १ अप्रैल २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  6. बेजोड़ बेहतरीन हर बार की तरह निशब्द।

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  7. बहुत ही सुन्दर... लाजवाब रचना ।

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  8. Replies
    1. सधन्यवाद नमन मैम🙏🙏🙏

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  9. वाह! सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  10. निशब्द करते भाव प्रिय अमित --
    लालची इन चक्षुओं को
    चाँद से मनमीत भाते।!

    बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति| इन चाँद से मनमीत की बदौलत ही आंसूओं की दौलत मिलती है |काव्य में लथपथ हो यही तो अमर गीतों में ढलते हैं | पर ये प्रश्न निरुत्तर रहेगा --
    ओ मेरे भटके बटोही
    आज बस इतना बता दे,
    काव्य में लथपथ पड़े
    इन आँसुओं की माप क्या है?

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    1. जी दीदी सत्य वचन। बहुत दिनों के बाद आपको "मकरंद" पर देख कर अत्यंत आनंदानुभूति हो रही है। सादर नमन🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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