कथन

श्रुतियों के अभिव्यंजन की अब, प्रथा नहीं है ऐ हमदम...।
...“निश्छल”

11 December 2018

बिखरो मेरे ज़ज़्बातों

बिखरो मेरे ज़ज़्बातों
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बिखरो मेरे ज़ज़्बातों
तुम तो धीरे-धीरे,
करुण स्वरों को मेरे अब तक
हर जीवित ठुकराया है।

रखा सुरक्षित जिन्हें जन्म से, हीरे-मोती से शृंगारित
चक्षु तले निशि-दिन, संध्या को, रखा सवेरे भी सम्मानित;
स्वर्ण सलाखों के पिंजर में, मुझे छोड़कर क्यों जाते हो?
मुड़कर देखो रंज-रुदन को, उपहासों से क्या पाते हो?
उपहासों से बेधो मन को
तुम तो धीरे-धीरे,
अधम साँस को मेरे सुन लो
हर जीवित ठुकराया है।

मधुर गीत को गाने वाले, क्रंदन गाना सीख गये हैं
ऋजु हृदयों के ज्वारों से ही, भाव सभी अब भींग गये हैं;
खुशहाली में पलनेवाले, दहक पान कर, करें गुज़ारा
दहन हुवे जो भाव चित्त के, दावानल पर रीझ गये हैं।
विक्षत करो संत्रस्त कलेजा
तुम तो धीरे-धीरे,
आकांक्षाएँ मेरी अब तक
हर जीवित ठुकराया है।

घोर नींद में स्वप्न मुद्दई, मुझको देते रहे सहारे
ज्ञापित दिवस नहीं था उनको, दिवास्वप्न, वे बिना विचारे;
रुष्ट जगत की कटु कृपाण ने, काटा वहमों को जब जाकर
आहत होकर खड़े रिक्त अस, दुख सरिता पर कहीं किनारे।
ख़्वाबों मेरे, मरो डूबकर
तुम तो धीरे-धीरे,
इस अपात्र को अब तक आख़िर
हर जीवित ठुकराया है।
...“निश्छल”

18 comments:

  1. नमस्ते,

    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरुवार 13 दिसम्बर 2018 को प्रकाशनार्थ 1245 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

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    1. रचना की गरिमा बढ़ाने के लिए सादर नमन आदरणीय🙏🙏🙏

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  2. जब तक जीवन है , आँखों में ख्वाब तो आते ही रहते हैं , सारा जीवन इन ख्वाबों और उसको पाने की दौड़ में ही बीत जाता है | आपने बेहतरीन रचना लिखी , आपकी शैली में एक अलग आनंद है ... बधाई

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    1. आपकी कृपादृष्टि के लिये सादर नमन एवं आभार🙏🙏🙏

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  3. बहुत ही बेहतरीन

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  4. वाहहह.... वाहहह.... गज़ब...अद्भुत लिखते है आप निश्छल जी...अप्रतिम... बहुत दिनों बाद आपकी रचना आई पढ़कर आनंद आ गया।

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    1. सधन्यवाद आभार आपका🙏🙏🙏

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  5. सराहना से परे होती है आपकी हर रचना ।
    इतनी गहरी इतनी हृदय स्पर्शी बस अद्भुत भावों का सागर सुंदर शब्द सौष्ठव लिये ।
    अप्रतिम अभिराम ।

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  6. बहुत सुन्दर निश्छल जी.

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    1. हृदयतल से अभिनंदन आदरणीय🙏🙏🙏

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  7. बहुत ही सुन्दर...
    मधुर गीत को गाने वाले, क्रंदन गाना सीख गये हैं
    ऋजु हृदयों के ज्वारों से ही, भाव सभी अब भींग गये हैं;
    वाह!!!
    बहुत लाजवाब

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद मैम, सादर🙏🙏🙏

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  8. रखा सुरक्षित जिन्हें जन्म से, हीरे-मोती से शृंगारित
    चक्षु तले निशि-दिन, संध्या को, रखा सवेरे भी सम्मानित;
    स्वर्ण सलाखों के पिंजर में, मुझे छोड़कर क्यों जाते हो?
    मुड़कर देखो रंज-रुदन को, उपहासों से क्या पाते हो?!!!
    प्रिय अमित एक और बेजोड़ सृजन | हमेशा की तरह | माँ शारदे इस प्रवाह को कभी थमने ना दे यही दुआ है | मेरा हार्दिक स्नेह |

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    1. सादर अभिवादन एवं आभार दीदी🙏🙏🙏

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