क्या छिपा रखा प्रिये
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हार जाता हूँ स्वयं ही, शस्त्र सारे डालकर;
क्या छिपा रखा प्रिये, इस मधुमयी मुस्कान में?
तीव्र बाणों की मधुर
संवेदना से आह भरता,
प्राण के प्रतिबिंब में
उस प्रेरणा की चाह करता,
मैं स्वतः ही मिट रहा, संजीवनी की खान में;
क्या छिपा रखा प्रिये, इस मधुमयी मुस्कान में?
कोंपल से सौम्यता
नव कली से अनुराग पाता,
सुवास रंजित पुष्प के
किलकारियों को गुनगुनाता,
खो गया हूँ मैं मधुप, फुलवारियों के गान में;
क्या छिपा रखा प्रिये, इस मधुमयी मुस्कान में?
स्नेह मन में है छिपा
निशि कोटरों से ख़ौफ़ खाता,
चंद्र की द्युति देखता
सौदामिनी उपदान पाता,
इक बार दर्शन दे प्रभा, जान आये जान में;
क्या छिपा रखा प्रिये, इस मधुमयी मुस्कान में?
कुहुक करती कोकिला
कंदर्प गति मन मोहती है,
झाँक कर के बसंती
मन मृणाल को टटोलती है,
डाल जादू मोहिनी, ऋतु की नयी इस तान में;
क्या छिपा रखा प्रिये, इस मधुमयी मुस्कान में?
...“निश्छल”
बहुत ही प्र्यारी रचना प्रिय अमित | इस मधु - मोहिनी के जादू में गिरफ्तार अनुरागी मन के क्या कहने ????? शब्द - शब्द अनुराग छलक -छलक जाता है| अलंकृत शब्दावली मनमोहक है | दीपावली के शुभावसर पर आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाओं के साथ - इस सुंदर सरस रचना के लिए मेरा हार्दिक स्नेह विशेष |
ReplyDeleteइन स्नेहमय शुभाशीषों के लिए आपका सादर अभिनंदन दीदी। महापर्व की हार्दिक शुभेच्छाएँ🎇🎆🎇 एवं नमन🙏🙏🙏
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार ९ नवंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
आदरणीया श्वेता जी धन्यवाद, सादर नमन🙏🙏🙏
Deleteश्रृंगार रस में निमग्न बहुत सुंदर रचना अमित
ReplyDeleteसादर धन्यवाद मैम🙏🙏🙏
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना अमित जी 👌
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार मैम🙏🙏🙏
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteसधन्यवाद नमन आदरणीया🙏🙏🙏
Deleteबहुत सुंदर!!
ReplyDeleteश्रृंगार रस की उच्चतम प्रस्तुति बहुत सुंदर अलंकारों का प्रयोग ।
बहुत बहुत सुंदर ।
श्रद्धावनत नमन दीदी🙏🙏🙏
Deleteबहुत सुन्दर गीत ...
ReplyDeleteशब्दों के माध्यम से चित्र उतरने का सफल प्रयास ...
अलंकृत भावमय रचना है ...
सादर आभार एवं धन्यवाद आदरणीय🙏🙏🙏
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